Life Sentence उम्र कैद की सजा कितनी होती है? आजीवन कारावास में कितने साल की होती है सजा?

Life Sentence उम्र कैद की सजा कितनी होती है? आजीवन कारावास में कितने साल की होती है सजा?
Life Imprisonment: कई लोगों को लगता है कि आजीवन कारवास का मतलब 14 या 20 साल की सजा होती है, लेकिन ये धारणा बिल्कुल गलत है।

आजीवन कारावास का मतलब है कि सजा पाने वाला व्यक्ति अपने बचे हुए जीवनकाल तक जेल में रहेगा, जब भी कोई कोर्ट किसी अपराधी को आजीवन कारावास की सजा सुनाती है तो इसका यही मतलब है कि आरोपी अपनी अंतिम सांस तक जेल की चार दीवारी के अंदर ही सजा काटेगा, सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में इसकी व्याख्या की है।

कोर्ट अपराधी के गुनाह के आधार पर उसे सजा सुनाता है. इसमें मौत के अलावा उम्रकैद या कुछ सालों की कैद शामिल है. लेकिन उम्रकैद को लेकर लोगों के दिमाग में काफी कन्फ्यूजन रहता है, इस कन्फ्यूजन को खुद सुप्रीम कोर्ट ने भी दूर करने की कोशिश करते हुए स्पष्ट किया था कि उम्रकैद का मतलब जिंदगी भर जेल में रहना है. इसे चौदह साल नहीं माना जा सकता।

जब कोई अदालत किसी अपराध के लिए किसी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाती है तो विधि के समक्ष इस सज़ा की अवधि का अर्थ सज़ा पाने वाले व्यक्ति की अंतिम सांस तक होता है। अर्थात वह व्यक्ति अपने शेष जीवन के लिए जेल में रहेगा। यही आजीवन कारावास का अर्थ है जिसकी व्याख्या सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसलों में की है।

आजीवन कारावास (Life imprisonment) एक दण्ड है जिसमें अपराधी को अपने जीवन के अंत तक जेल में गुजारना होता है। यह दण्ड कुछ गम्भीर अपराधों के लिये दिया जाता है जैसे- हत्या, गम्भीर किस्म के बालयौनापराध, बलात्कार, जासूसी, देशद्रोह, मादक द्रव्य का व्यापार, मानव तस्करी, जालसाजी के गम्भीर मामले, बड़ी चोरी/डकैती, आदि।

फिर कैसे आया चौदह साल का कांसेप्ट?
दरअसल, उम्रकैद की सजा पाए कैदी को कम से कम चौदह साल जेल में बिताने ही है, चौदह साल के बाद उसकी फाइल को एक बार फिर रिव्यू में डाला जाता है. ऐसे में उसके व्यवहार के आधार पर सजा को घटाया या बढ़ाया जाता है, यानी अगर किसी कैद ने चौदह साल जेल में बिता लिए हैं, तब ही उसकी फाइल फिर से सरकार के सामने पेश की जाती है, अगर सरकार को ऐसा लगता है कि कैदी ने अपने अपराध के अनुसार सजा पा ली है, तो उसे रिहा भी किया जा सकता है. कई बार बीमारियां भी इसका आधार बनती है, लेकिन ये जरुरी नहीं है, कई बार अपराधी की सजा को उम्रभर के लिए एक्सटेंड कर दिया जाता है. तो समझ गए ना आप उम्रकैद और चौदह साल के बीच का रिलेशन।

कई लोग हो जाते हैं 14 या 20 साल में रिहा।
कई बार देखा गया है कि आजीवन कारावास की सजा मिलने वाले व्यक्ति को 14 साल या 20 साल की सजा काटने के बाद रिहा कर दिया जाता है, आपको बता दें कि इसके पीछे की वजह कुछ और है। दरअसल, राज्य सरकारें एक निश्चित मापदंड के आधार पर किसी व्यक्ति की सजा कम करने की शक्ति रखती है, यही वजह है कि हम कई बार ये सुनते हैं कि आजीवन कारावास की सजा काट रहा व्यक्ति 14 साल बाद या 20 साल बाद रिहा हो गया, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 55 और 57 में सरकारों को सजा को कम करने का अधिकार दिया गया है।

IPC की धारा 57 उम्र कैद की सजा के समय के संबंध में है, इस धारा के मुताबिक, कारावास के सालों को गिनने के लिए इसे बीस साल के कारावास के बराबर गिना जाएगा, लेकिन इसका ये बिल्कुल मतलब नहीं है कि आजीवन कारावास 20 साल का ही होता है। अगर कोई गणना करनी हो तो ही आजीवन कारावास को 20 साल के बराबर माना जाता है, गणना करने की जरूरत तब पड़ती है, जब किसी को दोहरी सजा सुनाई गई हो या किसी को जुर्माना न भरने की स्थिति में ज्यादा समय के लिए कारावास में रखा जाता है।

Section 55 in The Indian Penal Code: Commutation of sentence of imprisonment for life.—In every case in which sentence of [imprisonment] for life shall have been passed, [the appropriate Government] may, without the consent of the offender, commute the punishment for imprisonment of either description for a term not exceeding fourteen years.

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Section 57 in The Indian Penal Code: Fractions of terms of punishment.—In calculating fractions of terms of punishment, [imprisonment] for life shall be reck­oned as equivalent to [imprisonment] for twenty years.

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